“ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे इंतज़ार करते करते एक और शाम बीत जाएगी !! हफ़ीज़ जालंधरी टैग : दोस्त शेयर कीजिए बस मेरी ही तन्हाई उसे दिखाई नहीं देती। राहत इंदौरी की ग़ज़लें आपको उर्दू साहित्य के सौंदर्य से परिचित कराएंगी, जो नीचे दी गई हैं- https://youtu.be/Lug0ffByUck