आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु अब संकट भारी ॥ अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ कहैं अयोध्यादास आस https://lorenzofwsrp.wiki-racconti.com/7662722/lyrics_shiv_chalisa_fundamentals_explained